आधुनिक शिक्षा प्रणाली

 आधुनिक शिक्षा प्रणाली

स्कूल में पधारे अतिथि ने,
आँखों में ऑंखें डाल
एक बच्चे से पूछा सवाल
बेटा, बड़े होकर क्या बनना चाहते हो ?

बच्चा कुछ ज्यादा ही समझदार था
बिरवान होनहार था,
बोला, यदि और कुछ न बन पाया
तो भी रोजी-रोटी चला लूँगा,
पीठ पर लादता हूँ रोज बस्ता  
बड़ा होकर बोझ उठा लूँगा !
अतिथि चकराया, तो बच्चे ने उसे
अपना भारी बैग दिखाया !

अतिथि कुछ आगे बढा
एक नन्हीं बालिका से पूछा उसका हाल
बोली, जानकर आपको होगा मलाल
रटने पड़ते हैं ढेर सारे उत्तर
उगल आते हैं जिन्हें कापी पर
बड़ी होकर क्या बनूंगी नहीं जानती
पर क्या होता है बचपन अनजान हूँ इससे भी !

सुना है बचपन मुक्त होता है सारे बन्धनों से
यहाँ तो हर सुबह शुरू होती है लैसनों से,
अतिथि ने भाषण की, की थी बड़ी तैयारी
धरी रह गयी सारी की सारी
बोला, आधुनिक शिक्षा पाठ्यक्रम है बड़ा भारी
डाली है इसने नाजुक कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी !

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