दीपावली पर जलाएं खुशियों के दीप

दीपावली पर जलाएं खुशियों के दीप


उत्सवप्रियता मनुष्य की मूल प्रवृत्ति है। त्योहार खुशियों का बहाना बनकर हमारे जीवन में आते हैं और हमारे आंचल में ढेरों खुशियां उडेल देते हैं। प्रकाश पर्व का प्रमुख त्योहार दीपावली स्नेह, सद्भाव और सदाचार से जीने का संदेश देती है। ऐसे में हम भी दीपावली के इस पावन पर्व पर व्यक्तिगत लाभ को दरकिनार कर सम्पूर्ण जगत के ऐश्वर्य व समृद्धि की कामना करें।

दीपावली का वास्तविक उद्देश्य तो इसके नाम में ही छिपा है। दीपावली अर्थात् दीपों की पंक्ति। यह दीप न सिर्फ  हमारे घर को बल्कि जीवन को भी प्रकाशमान करने का संदेश देते हैं। इस प्रकार अंधेरे से प्रकाश की ओर गमन ही हमारे जीवन का मूल ध्येय होना चाहिए। दीपक में तरल तेल होता है तथा उसमें लगी लौ स्वयं जलकर भी पूरे संसार में प्रकाश फैलाती है। दीपक हमें यही संदेश देता है कि बिना त्याग किए समाज का कल्याण असंभव है। यह पर्व हमें त्याग की भावना का संदेश देता है। साथ ही यह प्रकाशपर्व जीवन में फैले अंधकार को भी दूर करने पर जोर देता है। जिस प्रकार दीपों की पंक्ति पूरे क्षेत्र तो प्रकाशमान कर देती है, ठीक उसी प्रकार यदि हम सामूहिक रूप से प्रयास करें तो समाज से भी बुराई रूपी अंधकार को आसानी से मिटाया जा सकता है और प्रेम व भाईचारे के दीपों को प्रज्ज्वलित किया जा सकता है। 

आमतौर पर लोग दीपावली से पहले अपने घर व आसपास की सफाई करते हैं। इसलिए इसे शुद्धता का पर्व भी कहा जाता है। लेकिन यह शुद्धता सिर्फ  घर तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए क्योंकि केवल बाहरी गंदगी को दूर करने से कुछ नहीं होने वाला। जीवन में बाहरी स्वच्छता से ज्यादा महत्व आंतरिक स्वच्छता है। इसलिए यदि हमें इसे वास्तविक रूप में शुद्धता का पर्व बनाना है तो सबसे पहले अपने भीतर जमी हुई सारी ईष्र्या, द्वेष, अंहकार, लोभ आदि की गंदगी को निकालकर अपने मन को भी बेहद स्वच्छ व निर्मल बनाना होगा ताकि न सिर्फ  हमारा बल्कि हमसे जुड़े सभी लोगों का जीवन भी बेहद सरल हो जाए। कहते हैं न कि जब हम बदलेंगे, तभी समाज बदलेगा और जब समाज बदलेगा तभी देश बदलेगा। तो इस दीपावली हमें शुरूआत खुद के बदलने से करनी होगी।

वैसे दीपावली का केवल धार्मिक या पौराणिक महत्व ही नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश लेकर भी आता है। इस दिन लोग सभी बैर-भाव भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलकर मिठाईयां बांटते हैं। इस प्रकार होंठो पर मुस्कुराहट व जिंदगी में खुशियों की बहार लाने वाला यह दीपोत्सव न सिर्फ हमारे पारिवारिक बल्कि सामाजिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाता है। यह पर्व हमें बताता है कि सांसारिक सुखों से उपर भी एक सुख है, यह सुख है बंधुत्व और समेकता का, जिसकी वर्तमान संसार को बहुत अधिक आवश्यकता है। हर कोना रोशन हो जाए, कुछ ऐसे दीप जलें यही इस पर्व के पौराणिकता का मूल बिन्दु है। 

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