महिला जगत - ग्रीष्म में कैसे रहें शीतल और तरोताजा

महिला जगत
ग्रीष्म में कैसे रहें शीतल और तरोताजा
                                                 
ग्रीष्मकाल आ गया है, जो शीतल रहना जानते हैं वे उसमें आनन्द उठा सकेंगी, जो नहीं रह पायेंगी, उन्हें परेषानी होगी। आवश्यकता केवल शारीरिक दृष्टि से ठंडे रहने की ही नहीं है बल्कि मानसिक दृष्टि से ठंडे रहने की भी है। ग्रीष्मकाल में किसी को क्रुद्ध होते हुए देखिये। वह बहुत गर्म दिखाई पडे़गा, उसमें से गर्मी निकलती हुई प्रतीत होगी और उसे पसीना भी बहुत आयेगा। केवल इतना ही नहीं, दिन के शेष भाग में भी वह जब तक ठंडे जल में स्नान नहीं कर लेगा तब तक शीतलता का अनुभव नहीं करेगा। इसलिये यदि आप अपना मस्तिष्क ठंडा रखते हैं तो ग्रीष्मकाल में ठंडे रहने की आधी लड़ाई जीत ली जा सकती है। आप ऐसी स्थिति मत पैदा करिये कि आपको अपने कार्य में शीघ्रता करनी पड़े। आराम के साथ कार्य करिये ताकि आपके शरीर की उत्पन्न ताप दूर करने के लिये काफी समय मिल सके। काम में शीघ्रता करने से आपके शरीर में काफी तीव्र गति से अतिरिक्त ताप उत्पन्न हो जायेगा ऐसा ताप जिसे कि दूर होने के लिये समय नहीं मिल सकेगा। इस ताप से आपको बहुत गर्मी लगेगी औ खूब पसीना आयेगा। ऐसा होने से आप परेशानी अनुभव करेंगी।
प्रातःकाल में बहुत जल्दी सोकर उठने का एक कारण यह भी है। यदि आपके बच्चे भी हैं तो सुबह होने के बाद उन्हें भी स्कूल जाना पड़ता होगा। उनके बाद आपके पति भी अपने काम पर जाते होंगे। आपके पास इस बात के लिये पर्याप्त समय होना चाहिये कि आप सुबह का काम धीरे-धीरे निपटा सकें, नाश्ता तैयार कर सकें और नहा सकें तथा बच्चों को कपड़े पहना सकें। सुबह जल्दी उठने का एक कारण यह है कि आपको तीसरे पहर काम करने से बचना चाहिये। सुबह का काम दोपहर तक समाप्त कर दीजिये और तब अपने विश्राम कक्ष में लौट जाइये। इस कमरे के चारों ओर छाया रहनी चाहिए, वह ठंडा रहना चाहिए, उसे ठंडे पानी से धोते रहना चाहिए तथा उसमें पंखा या कूलर लगा होना चाहिए। उस पर सूरज की सीधी रोशनी नहीं पड़नी चाहिए। यदि इस कक्ष में प्रवेश करने से पूर्व आप दूसरी बार स्वच्छ भी कर लें तो यह निश्चित समझिए कि आपका दिन अत्यंत सुखद गुजरेगा इस कक्ष से तभी बाहर निकलिये जबकि अधिक गर्मी का समय गुजर जाये। यदि आप तीसरी बार भी ठंडे पानी से नहा लेते हैं तो आपकी संध्या भी सुखद गुजरेगी। ग्रीष्मकाल में शरीर की रक्षा तथा सफाई विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। ऊन की भांति बालों में भी गर्मी होती है, इसलिए यदि आप अपने बाल लम्बे रखती हैं तो उनका जूड़ा बना लीजिए और जहां तक हो सके उन्हें गर्दन से दूर रखिये। मुख पर बालों के आ जाने से आपको केवल अधिक गर्मी ही नहीं लगती तथा आपको अधिक परेशानी ही नहीं होती बल्कि आपसे मिलने वालों को भी परेशानी होती है। यदि आपके बाल छोटे हैं तो इस ऋतु में आपको उन्हें खूब साज संवारकर रखना चाहिए। अनावश्यक बालों को किसी क्रीम की सहायता से दूरकर दीजिये। स्नान के लिये आप एक टब पानी में तीन या चार चम्मच यू-डी-कोलोन मिलाइये। इसमें आप ताजगी अनुभव करेंगी। यदि आपको पसीना बहुत अधिक आता है तो आप पसीना दूर करने वाले लोशनों का भी प्रयोग कर सकती हैं, लेकिन आमतौर पर उनसे बचना चाहिये क्योंकि पसीना आने से गर्मी कम लगती है। पसीने से बचने के लिये यह अधिक श्रेयस्कर है कि दिन में कई बार स्नान किया जाये तथा सूरज से बच कर रहा जाये।
यदि आप दिन में कई बार नहाती हैं तो आपको बार-बार मेक-अप करना पड़ेगा। वैसे गर्मियों में जितना कम मेक-अप किया जाये उतना ही अच्छा है। यदि फाउंडेशन का प्रयोग करने से पहले आप अपने चेहरे पर कोई स्किन फ्रैशनर या एस्ट्रिंजेर लोशन लगा लेती हैं तो आपका चेहरा काफी समय तक ताजा दिखाई पड़ेगा। एक बार पाउडर लगा लेने के बाद आप अपने चेहरे पर ठंडे पानी से भीगा हुआ स्पंज मलिये। इसके बाद आप फिर पाउडर लगाइये। ऐसा करने से आपका मेक-अप पसीने के साथ बहेगा नहीं तथा आप उपहासास्पद नहीं प्रतीत होंगे।
ग्रीष्मकाल सैंडिलों और चप्पलों का समय है। इसलिये आप अपने पैर साफ-सुथरे रखिये। किसी चीज में क्यूटिकिल क्रीम में भीगी हुई काटन वूल बांध कर आप अपने नाखून साफ रखिये। यदि एडियों में बिवाइयाँ पड़ी हुई हैं तो उनको साबुन तथा झाँवे से रगड़ कर एकसार कर लीजिये। गुलाब जल और ग्लीसरीन का मिश्रण रखिये और दिन के समय हाथ पैरों पर उसे कई बार लगाईये। इससे आपको काफी ताजगी का अनुभव होगा। गर्दन के पीछे के भाग जैसे स्थानों के लिये उन्हें ठंडा रखने के लिये चंदन से बढि़या और कोई वस्तु नहीं है। हथेलियों और पंजों के लिये मेहंदी ही सर्वश्रेष्ठ उपचार है। इससे हाथ और पैर केवल ठंडे ही नहीं रहते बल्कि उनमें पसीना भी कम आता है तथा वे सुंदर भी प्रतीत होते है। हाथों और पैरों पर मैल तथा पसीना मिलने से जो चिपचिपाहट पैदा हो जाती है वह भी इस तरह पैदा नहीं होगी।
पहनने के लिये गर्मियों में सूती कपड़ों से श्रेष्ठतम और कुछ नहीं है तथा सफेद रंग सर्वोत्तम माना जाता है। रंग जितना गहरा होता जाता है वह कपड़ों को उतना ही अधिक गर्म बनाता जाता है। इसलिये आप या तो बिल्कुल सफेद रंग के कपड़े पहनिये या हल्के रंगों के कपड़े पहनिये। जल्दी सूखने वाले कपड़े ग्रीष्मकाल में अत्यंत लाभदायक सिद्ध होते हैं, विशेषकर उन लोगों के लिये जिन्हें कि पसीना बहुत आता है। अत्यंत कसे हुये कपड़े पहनने की बजाय, ग्रीष्म ऋतु में कुछ ढीले ब्लाउज, चोली तथा कुर्ते पहनिये। कसी हुई पोशाक में आपका दम घुटने लगेगा। इसके अतिरिक्त आपको पसीना भी अधिक आयेगा।

ग्रीष्मकाल में कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों से भी ठंडा रहा जा सकता है। दालों का कम से कम प्रयोग करिये। ठंडे सलाद, फलों और शीतल पेय पदार्थों का अधिक से अधिक प्रयोग करिये। अधिक मसालों तथा तले हुये पदार्थों के प्रयोग से बचिये। बहुत से व्यक्ति धार्मिक दृष्टि से दिन के उष्णतम भाग में दालों तथा ठोस खाद्य पदार्थों के प्रयोग से बचते हैं। इसके पर्याप्त कारण भी हैं क्योंकि दालों को ऐसे समय पर पचाना अत्यंत कठिन हो जाता है जबकि हमारी पाचन प्रणाली सुस्ती से काम करती है। खाना पचने से पहले और बाद में अनावश्यक ताप भी उत्पन्न होता है। इसके विपरीत फल, फलों के रस, सलाद और शीतल पेयों से भी गर्मी का निराकरण होता है। इसलिये सुबह और शाम के समय भी दालों और ठोस खाद्य पदार्थों का कम से कम प्रयोग करिये। पानी अधिक पीजिये चाहे वह साधारण जल के रूप में हो, स्कवैश के रूप में हो, शर्बतों के रूप में हो, फलों के रस के रूप में हो या लस्सी के रूप में हो। ठंडा रहने के लिये यह भी आवश्यक है कि खाने के साथ नमक अधिक लीजिये। नमक में नमी बनाये रहने की शक्ति होती है (क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि वर्षा ऋतु में आपका नमक का बर्तन नम रहता है?)। इसलिये आपके रक्त में नमक जितना अधिक होगा, आपके शरीर का उतना ही कम पानी नष्ट होगा। यदि धूप में आपकी तबियत कुछ खराब होने लगे तो पानी के साथ थोड़ा सा नमक ले लीजिये और आपकी तबियत ठीक हो जायेगी।

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