दो दिवसीय ‘राजस्व ज्ञान संगम-कर प्रशासकों का वार्षिक सम्मेलन-2016’ कल यहां सम्पन्न हो गया। ‘राजस्व ज्ञान संगम’ का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी में 16 एवं 17 जून, 2016 को किया गया। इसका उद्घाटन 16 जून, 2016 की सुबह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया एवं इसने नवोन्मेषी विचारों के सृजन में एक नई ऊंचाई को चिन्ह्ति किया तथा कर प्रशासकों के लिए नये अवसर खोले। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जोर देकर कहा कि सुगमीकरण को कर आर्थिक प्रणाली के मूल में होना चाहिए तथा कर प्रशासकों को कानून को लागू करने वाले का नहीं, बल्कि कानून के डर के सिद्धांत पर काम करना चाहिए। देश की वृद्धि एवं विकास में राजस्व संग्रह की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्होंने अनुपालक कर प्रदाताओं की दिशा में कर प्रदाता हितैषी सेवाओं में उच्च मानकों को अर्जित करने के लिए राजस्व अधिकारियों की सराहना की। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री ने उन्हें गैर-करदाताओं के दरवाजों को भी खटखटाने को कहा, जिससे कि करदाताओं की संख्या में वृद्धि हो सके। उन्होंने आयकर विभाग को कर आधार को विस्तारित करने और कर न भरने वालों तथा कर वंचकों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करने को कहा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जोर देकर कहा कि ‘रैपिड’ (आर रेवन्यु यानी राजस्व, ए अकाउंटिबिलिटी यानी जवाबदेही, पी प्रोबिटी यानी सत्यनिष्ठा, आई इन्फोरमेशन यानी जानकारी, डी यानी डिजिटाइजेशन) को कर ढांचे की आधाशिला होनी चाहिए। बाद में, केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी 16 जून, 2016 को दो अलग-अलग सत्रों के दौरान दोनों बोर्डों के अधिकारियों के साथ व्यापक रूप से बातचीत की। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक रूपांतरकारी चरण से गुजर रही है और उन्होंने उन वैश्विक बदलावों का लाभ उठाने की जरूरतों पर जोर दिया, जो विश्व अर्थव्यवस्था को नया आकार दे रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का विश्व का एक बड़ा विनिर्माण केन्द्र बनना तय है; और इस संदर्भ में ‘जीएसटी’ एवं एक आधुनिक गैर-विरोधात्मक कर व्यवस्था विनिर्माण क्षेत्र को जीडीपी के 25 प्रतिशत के हिस्से तक तेजी से ले जाने के लिए अहम है। केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा ने 17 जून, 2016 की शाम को समापन समारोह को संबोधित किया। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) एवं केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के एक संयुक्त सत्र को विख्यात उपन्यासकार चेतन भगत द्वारा ‘प्यार के साथ कर निर्धारण’ पर संबोधित किया गया। उन्होंने सुझाव दिया कि कर विभागों को करदाताओं के साथ अपने ‘ग्राहकों’ की तरह बर्ताव करना चाहिए एवं शीर्ष करदाताओं को सम्मानित किये जाने के द्वारा देश में एक कर अदायगी संस्कृति की भावना पैदा करनी चाहिए। उन्होंने आवेदन प्रारूपों के सरलीकरण एवं उपयोग में सरल वेबसाइट के लिए कुछ व्यवहारिक समाधान भी सुझाये। सीबीडीटी एवं सीबीईसी द्वारा दो अलग-अलग तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। दो दिन तक चले सीबीडीटी के तकनीकी सत्र में करदाता सेवाओं, ई-गवर्नेंस में नई पहलों, विदेशी न्यायाधिकार क्षेत्रों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान, अघोषित विदेशी परिसम्पत्तियों की जांच, आय घोषणा योजना-2016, वाद प्रबंधन एवं वाद निपटान, कागज रहित आकलनों के लिए योजना, जवाबदेही संवर्द्धन एवं सेवा अनुकूलन आदि जैसे व्यापक विषयों पर चर्चा हुई। सीबीईसी के तकनीकी सत्र के दौरान राजस्व रूझानों के विश्लेषण, जीएसटी पर अद्यतन, मुकदमेबाजी को कम करने की रणनीति, डिजिटल फुटप्रिंट का विस्तार, व्यापार का सुगमीकरण, डब्ल्यूटीओ टीएफए का प्रभाव एवं प्रक्रियाओं का मानकीकरण तथा अधिकारियों के बीच आधुनिक ज्ञान के प्रसार जैसे विषयों पर चर्चा हुई। सीबीईसी ने फिक्की/केपीएमजी के सहयोग से एक करदाता सर्वे का भी संचालन किया, जिसे इस अवसर पर जारी किया गया। सर्वे में कई विशिष्ट सुझावों की चर्चा की गई। सर्वे से यह भी पता चला कि सर्वे में भाग लेने वाले 72 प्रतिशत लोगों ने सीबीईसी की नीतियों में एक सुस्पष्ट बदलाव महसूस किया।
एक पैनल परिचर्चा का भी संचालन किया गया, जिसमें भारत के क्वालिटी काउंसिल के अध्यक्ष श्री आदिल जैनुल भाई, बाजार विश्लेषक सुश्री रमा बीजापुरकर एवं सोशल मीडिया की विशेषज्ञ सुश्री शालिनी नारायण ने सीमा शुल्क एवं आबकारी विभाग की ब्रांड छवि को बेहतर बनाने के तरीकों एवं रास्तों पर चर्चा की। कुल मिलाकर, सम्मेलन बेहद लाभप्रद रहा।
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